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Ekal Vidarbha    18-Oct-2022
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बंधू / भगिनी
स्वामी विवेकानंद जी का कथन था की; "अगर विद्यार्थी विद्यालय नही आ सकता; तो विद्यालय को ही विद्यार्थी के पास जाना होगा ।" इस सुत्र को लेकर आज पूरे देश भर में "एकल विद्यालय" अर्थात एक शिक्षक एक विद्यालय यह योजना कार्यरत है। आज भारत में एकल अभियान ट्रस्ट नयी दिल्ली अंतर्गत विविध संस्थाओं द्वारा वनवासी क्षेत्र में करीबन १,०२,०५२ एकल विद्यालय संपूर्ण देश में चल रहे है। विदर्भ क्षेत्र में आश्रय दाता संगठन वनबंधू परिषद (Friends of Tribal Society - FTS) के विशेष सहयोग से एकल ग्राम संगठन के द्वारा पिछले १० सालो में विद्यालयों की संख्या बढकर १५९० तक हुई है । अर्थात नगरीय तथा ग्रामीण वनवासी परिवारों की सहयोग से ही यह संभव हो रहा है। इसे देश का एक संस्कारीत शिक्षा का माध्यम बनाना, हमारा लक्ष्य है। संपूर्णतः १,०२,०५२ विद्यालयों का हमारा लक्ष्य साध्य करने हेतु एकल अभियान से जुडकर, इस भारत को पुनश्च एक समर्थ राष्ट्र बनाने में आप अपना दायित्व निभाये |
 
साक्षरता - विकास सुत्र
एकल विद्यालय साक्षरता विकास का सुत्र बहुत सरल-सीधा है, फिर भी प्रभावकारी है । वनवासी गांव के ही एक पुरुष या महिला चयन कर उसे शिक्षक (आचार्य) के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। आचार्य प्रतिदिन ३ घंटे, साल भर, पाठ्यक्रम के अनुरुप विद्यालय में साक्षरता एवं संस्कार के पाठ पढाते है । इस कक्षा में ५ वर्ष से १४ वर्ष तक के गांव के २५ से ३० बच्चे शामिल होते है। इस योजना को नियंत्रित करने का कार्य पांच-स्तरीय प्रशासनिक दल करता है। सभी स्तरो पर प्रशिक्षण कार्य निरंतर होता है। हमारे इस कार्य में संपूर्ण देश से करीबन ६,००० पुर्णकालीन कार्यकर्ता कार्यरत हैं।
 
साक्षरता से ही सम्पन्नता
वनवासी क्षेत्र में करीबन २५-३० लाख बच्चों की शिक्षा का माध्यम "एकल विद्यालय" है। इस प्रयास में हमारे साथ और कुछ नगरीय लोग सम्मिलित होकर, इस साक्षरता से सम्पन्नता अभियान में सहयोग दे सकते है।
 
आपका सहयोग कैसे करे ?
इस कार्य हेतू "एकल ग्राम संगठन" की सदस्यता स्वीकार करे और सक्रियता से जुडे । किसी विद्यालय का साल का संपूर्ण आर्थिक योगदान रु. २२,००० देकर शिक्षा का योगदान करे। किसी एक विद्यार्थी की शिक्षा हेतु रु. १०००/- देकर उसका साल का आर्थिक अनुदान उठाये ।
 
आपकी अनुदान राशी आयकर की धारा ८० जी के अंतर्गत करमुक्त है